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एनसीईआरटी से मुगल चैप्टर हटाने का विवाद

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हाल ही में उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा नया पाठ्यक्रम प्रकाशित किया गया है नए पाठ्यक्रम में किताबों से मुगल साम्राज्य पूर्ण रूप से हटा दिया गया है पूछने पर योगी सरकार ने बताया कि उन्होंने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को फॉलो किया है

आपको बताते हैं कि एनसीआरटी ने अपने पाठ्यक्रम में ऐसे कई चीजों को हटाया है विवाद का कारण यह है कि हटाई गई इन चीजों में से मुगल काल को पूर्ण रूप से विलुप्त कर दिया है। इतिहास के जानकारों का कहना है यदि इतिहास में से मुगल काल को ही हटा दिया जाएगा तो बच्चों को क्या पढ़ाया जाएगा मुगल काल को हटाने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि  वही इस बीच राहुल गांधी का भी स्टेटमेंट आता है कि शौर्य गाथाओं को बच्चों को बताना है।

अब प्रश्न यह है कि बिना मुगलों के पाठ्यक्रम को हटाए क्या हम हिंदू राजाओं के शौर्य और पराक्रम को नहीं बता सकते थे।

 भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि हमारे देश में एक विशेष प्रकार का राजनीतिक वर्ग और बौद्धिक गिरोह है, जो चाहता है कि आपके बच्चे सच को ना जानें बल्कि झूठ को ही सच मानें. इसीलिए इतिहास की किताबों में जब सच के पन्ने जोड़े जाते हैं तो ये लोग संकट में आ जाते हैं. इन्हें संस्कृति, सभ्यता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक ताने-बाने पर संकट नजर आने लगता है.

 

वही इस बीच राहुल गांधी का स्टेटमेंट आता है कि शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। राहुल गांधी आगे कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही शिक्षा विरोधी रही है और उसका काम हमेशा लोगों को धर्म के नाम पर बरगलाना रहता है

CBSE ने देश की स्कूली किताबों में पढ़ाए जा रहे इतिहास के कुछ पन्नों को हटाकर NCERT का नया और संशोधित पाठ्यक्रम जारी कर दिया है. केंद्र सरकार ने इसके लिए संसदीय कमेटी बनाई थी, जिसकी सिफ़ारिशों के बाद नई किताबें छपने के लिए भेज दी गई हैं. नए पाठ्यक्रम पर अब विवाद पैदा हो गया है और उसको लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है।

पहले आपको बताते हैं कि ये मामला क्या है

दरअसल मामला यह है कि NCERT की 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब Themes of Indian History-Part 2 Kings and Chronicles को CBSE ने पूरी तरह हटा दिया है. इस क़िताब के पेज नंबर 234 पर क्रूर शासक औरंगजेब और शाहजहां का महिमा-मण्डन किया गया था. इसमें लिखा था कि जब युद्ध के दौरान मन्दिर ढह जाते थे तो औरंगजेब और शाहजहां इन मन्दिरों को बनवाने के लिए ग्रांट जारी किया करते थे. इसी चैप्टर में ये भी बताया गया था कि Mughal Courts यानी मुगलों (Mughal Dynasty) की अदालतें कैसे न्याय किया करती थीं. इसको लेकर बीजेपी का मत यह है कि  यह असल इतिहास नहीं है  उनकी माने तो असली इतिहाय ये है कि औरंगजेब मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाने के लिए नहीं बल्कि उनका विध्वंस करने के लिये कुख्यात था.

ऐतिहासिक साक्ष्य देखें तो वर्ष 1669 में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब के आदेश पर ही पूरी तरह ध्वस्त किया गया था और वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था. जिसे आज ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. इतिहास की क़िताबों में मुगल बादशाह शाहजहां को ताजमहल बनवाने के लिये याद किया जाता है. लेकिन ताजमहल बन जाने के बाद मजदूरों के हाथ काट लिए जाने का जिक्र तथाकथित इतिहासकार कभी नहीं करते.

केंद्र सरकार की माने तो सीबीएसई की किताबों में अब तक मुगल शासकों का महिमामंडन ही होता आया है

इस्लामिक साम्राज्य भी नहीं पढ़ाया जाएगा

इसी तरह 11 वीं कक्षा की इतिहास की किताब Themes in World History में एक सेक्शन है Empires. इसके Chapter, The Central Islamic Lands को पूरी तरह हटा दिया है. इसमें इस्लामी साम्राज्य की स्थापना, उसके उदय और विस्तार की कथित गौरवमयी कहानी पढ़ाई जाती थी. इस Chapter में बच्चों को पढ़ाया जाता था कि कैसे इस्लामी
साम्राज्य Central एशिया में स्थापित हुआ और फिर अफ्रीका-एशिया के अधिकतर भागों में फैल गया. अब Empires नाम के section में सिर्फ दो चैप्टर पढ़ाए जाएंगे. पहला – An Empire across Three Continents जिसमे रोमन साम्राज्य की कहानी पढ़ाई जाएगी. और दूसरा – NOMADIC EMPIRES chapter- जिसमे 13 वीं और 14वीं सदी के मंगोल साम्राज्य की कहानी है.

पाकिस्तानी शायर फैज के दोनों शेर हटे

अब आपको बताते हैं कि 10 वीं कक्षा में Social Science के अंतर्गत Political Science की किताब से क्या हटाया गया है. इस क़िताब में Democratic Politics के चौथे चैप्टर Gender, Religion and Caste के पेज नंबर 46, 48 और 49 पर पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज़्म हटाई गई हैं. आप इन पंक्तियों पर गौर करें.
“चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहमत-ए-इश्क पोशीदा काफी नहीं
आज बाजार में पा-ब-जौला चलो”
फैज का ये शेर सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ प्रतिरोध यानी बगावत की बात करता है. इस शेर में सत्ता से परेशान लोगों से कहा गया है कि बेड़ियों को तोड़ दो और शहर की ओर कूच करो, जहां तुम्हारा शासक रहता है.
फैज की जो दूसरी नज़्म हटाई गई है, उसकी लाइनें भी देखें.
हम के ठहरे अजनबी
इतनी मुलाकातों के बाद
खून के धब्बे धुलेंगे
कितनी बरसातों के बाद..

ये नज़्म फैज अहमद फैज ने 1974 में बांग्लादेश से पाकिस्तान लौटने के बाद लिखी थी. इसमें जिन खून के धब्बों का जिक्र वो कर रहे थे वो बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को लेकर थे. फैज इस नज़्म में बता रहे थे कि ये निशान वर्षों तक रहेंगे

कथित धर्मनिरपेक्षता का कार्टून भी अब नहीं दिखेगा

CBSE ने 10वीं की इसी किताब के चैप्टर से एक अंग्रेज़ी
अखबार का कार्टून भी हटा दिया है. जिसमें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सभी धर्मों के पवित्र धार्मिक चिन्ह दिखाए गये थे और लिखा था कि ये कुर्सी मुख्यमंत्री के लिये उसकी धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए है.

इसी तरह 12वीं कक्षा की Political Science की किताब Contemporary World Politics के दो चैप्टर हटाए गए हैं. एक चैप्टर है, The Cold War Era और दूसरा चैप्टर है US HEGEMONY IN WORLD
POLITICS. The Cold War Era में शीत युद्ध का इतिहास पढ़ाया जाता था और शीत युद्द के दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री। जवाहरलाल नेहरू के गुट निरपेक्ष आंदोलन की अहमियत को भी पढ़ाया जाता था.

और भी बहुत कुछ है जो एनसीईआरटी ने हटाया है

आजकल विभिन्न राजनीतिक दल इसी बात को लेकर आपस में बहस कर रहे हैं कि एनसीईआरटी ने मुगल चैप्टर को पाठ्यक्रम से हटा दिया है  लेकिन इसके अलावा भी बहुत सारी चीजें हैं जिन्हें एनसीईआरटी ने अपने पाठ्यक्रम से हटाया है एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम में से poverty, migration, agriculture, human development जैसे कई टॉपिक को हटा दिया गया है जिन्हें का अध्ययन के बिना हम इतिहास को सही ढंग से नहीं समझ सकते।

अब इन सब के पीछे सरकार की क्या मंशा रही है और विपक्ष इसका क्यों विरोध कर रहा है यह तो आप समझ ही गए होंगे……………

 

Rahul Tiwari
Author: Rahul Tiwari

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