मेरे हैं राम
आगामी विधानसभा के चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में एक बार फिर ‘राम गमन पथ’ को लेकर दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चुनावी घमासान शुरू हो गया है।
दोनों ही दल इस पथ को विकसित करने का श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए हैं मध्य प्रदेश में इस पथ को लेकर कांग्रेस औरbभारतीय जनता पार्टी के बीच जमकर बयानबाज़ी हो रही है और ये तब शुरू हुई जब चार मई को मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल ने इस पथ को विकसित करने के लिए एक ट्रस्ट के गठन को मंजूरी दे दी।
कांग्रेस का दावा है कि इस परियोजना के लिए उसने ही पहल की थी
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले के अनुसार “ये हमारी शुरू की हुई परियोजना है। हमने पहल की थी परियोजना के पहले चरण के लिए बजट को भी स्वीकृति दे दी गयी थी मगर सरकार चली गई।भाजपा ने इतने सालों में कुछ नहीं किया। अब चुनाव सर पर आ गए हैं तो वो अब सिर्फ़ न्यास के गठन को ही मंजूरी दे रहे हैं ये सब चुनाव को देखते हुए कर रहे हैं कमलनाथ के मंत्रिमंडल के निर्णय को भाजपा की सरकार ने दरकिनार कर दिया था”।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ये केंद्र सरकार की परियोजना है जिसमें राज्य सरकार को सिर्फ़ 40 प्रतिशत खर्च करना है जबकि बाक़ी 60 प्रतिशत केंद्र सरकार ही ख़र्च करेगी पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक जीर्णोद्धार करके इसे भव्य रूप दिया जा रहा है केंद्र और राज्य सरकार करेगी
वैसे तो ये योजना 16 साल पहले बनाई गई थी कि अपने 14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जिन जगहों से होकर गुज़रे थे या जिन जगहों के बारे में मान्यता है कि उन्होंने वहाँ पड़ाव डाला था, उन जगहों को श्रद्धालुओं के लिए विकसित किया जाएगा।
इनमें उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना,तमिलनाडु जैसे राज्यों की जगहें शामिल हैं.
हालांकि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस पर काम ज़ोर-शोर से चल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक इसकी
शुरुआत नहीं हुई है। अविभाजित मध्य प्रदेश का इस
‘रामायण सर्किट’ में बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वनवास के 14 सालों में से 12 साल के आसपास का समय राम, सीता और लक्ष्मण ने इन्हीं इलाकों से गुज़रते हुए बिताया था।
मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद एक बड़ा क्षेत्र अब छत्तीसगढ़ में है जिसे भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार विकसित कर रही है।