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अंडमान के 21 द्वीपों का नामकरण : गुलामी के प्रतीकों को खत्म करने की मोदी की पहल

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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के 21 बड़े द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा। इन द्वीपों का अभी तक कोई नाम नहीं रखा गया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रॉस आईलैंड पर नेता जी को समर्पित नेशनल मेमोरियल के मॉडल का अनावरण किया। पीएम मोदी जब 2018 में अंडमान गये थे, उस समय रॉस आईलैंड का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा था। 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आजाद हिंद फौज का नेतृत्व करते हुए नेताजी ने रॉस आईलेंड पर पहली बार तिरंगा फहराया था। 2018 में नील आईलैंड का नाम ‘शहीद’ द्वीप और हैवलॉक आईलैंड का नाम ‘स्वराज’ द्वीप रखा गया था। 

नील आइलैंड का नाम ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल जेम्स नील की वजह से मिला। 1857 में जब आज़ादी की पहली जंग हुई थी तो जेम्स नील ने ही उस विद्रोह को कुचलने का काम किया था। इसी तरह हैवलॉक आइलैंड नाम भी ब्रिटिश जनरल सर हेनरी हैवलॉक के नाम पर पड़ा था। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन दोनों द्वीपों को ब्रिटिश शासन से आज़ाद करवा कर 30 दिसंबर 1943 को यहां पर तिरंगा फहराया था। 

सोमवार को अंडमान-निकोबार के दूसरे 21 और द्वीपों को भी नए नाम मिले। इन द्वीपों के नाम उन जांबाज़ जवानों और अफसरों के नाम पर रखे गए जिन्होंने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, अदम्य साहस दिखाया और जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इन 21 द्वीपों में सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा गया। दूसरे सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा गया। इस तरह से 21 अनाम द्वीपों को 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर नए नाम मिले।

जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर द्वीपों का नाम रखा गया है, वे हैं: मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कैप्टन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह,  कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जी एस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों,  मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार और रिटायर्ड सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।

 
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘इस दिन को आज़ादी के अमृतकाल के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। बंगाल से दिल्ली और अंडमान तक, भारत की हर पार्टी नेताजी की विरासत को सलाम करती है..  जब इतिहास रचा जा रहा है.. नेताजी का ये स्मारक, शहीदों और वीर जवानों के नाम पर ये द्वीप, हमारे युवाओं के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे।’ 

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहली बार राष्ट्रीय तिरंगा फहराया गया था और भारत की पहली स्वतंत्र सरकार नेताजी द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने कहा, ‘अंडमान की इसी धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए तप, तितिक्षा और बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था। सेल्यूलर जेल की कोठरियां, उस दीवार पर जड़ी हुई हर चीज आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर वहां पहुंचने वाले हर किसी के कान में पड़ते हैं, सुनाई पड़ते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, स्वतन्त्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था। हमारे आइलैंड्स के नामों तक में गुलामी की छाप थी, पहचान थी।’

परमवीर चक्र विजेताओं का उल्लेख करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा,  ‘जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर इन द्वीपों को जाना जाएगा, उन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सब-कुछ माना था। उन्होंने भारत मां की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। भारतीय सेना के वे वीर सिपाही देश के अलग-अलग राज्यों से थे। अलग-अलग भाषा, बोली और जीवनशैली के थे। लेकिन, मां भारती की सेवा और मातृभूमि के लिए अटूट भक्ति उन्हें एक करती थी, जोड़ती थी, एक बनाती थी। एक लक्ष्य, एक राह, एक ही मकसद और पूर्ण समर्पण। जैसे समंदर अलग-अलग द्वीपों को जोड़ता है, वैसे ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का भाव भारत मां की हर संतान को एक कर देती है। इन सभी परमवीरों के लिए एक ही संकल्प था- राष्ट्र सर्वप्रथम! इंडिया फ़र्स्ट! उनका ये संकल्प अब इन द्वीपों के नाम से हमेशा के लिए अमर हो गया है। करगिल युद्ध में ‘ये दिल मांगे मोर’ का विजयघोष करने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा, इनके नाम पर अंडमान में एक पहाड़ी भी समर्पित की जा रही है।’

पीएम मोदी ने कहा, इन द्वीपों का नामकरण उन परमवीर चक्र विजेताओं का सम्मान तो है ही, साथ ही भारतीय सेनाओं का भी सम्मान है। ‘आज़ादी के तुरंत बाद से ही हमारी सेनाओं को युद्धों का सामना करना पड़ा। हर मौके पर, हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है। ये देश का कर्तव्य था कि राष्ट्र रक्षा और इन अभियानों में स्वयं को समर्पित करने वाले जवानों को, सेना के योगदानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी जाए।’ 

नरेन्द्र मोदी की खासियत है कि वे आवेग में आकर या बिना सोचे-समझे कोई काम नहीं करते। मोदी ने सोमवार को जिन द्वीपों के नाम बदले वो गुलामी के प्रतीकों को खत्म करने की उनकी नीति का एक कदम है। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से मोदी ने जो पांच संकल्प लिए थे उनमें एक प्रतिज्ञा ये भी थी कि गुलामी के प्रतीकों को और गुलामी की मानसिकता को खत्म करना है। इसी के तहत इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटाकर नेताजी की प्रतिमा लगाई गई। इसके बाद भारतीय नौसैना का फ्लैग चेंज किया और फिर सोमवार को अंडमान के द्वीपों का नामकरण किया। यह नेताजी की ऐतिहासिक विरासत को सही श्रद्धांजलि है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

 

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Author: Rahul Tiwari

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