भिंड शहर में 17वीं बटालियन माँ निरंजना धाम प्रांगण में भागवत कथा का आयोजन चल रहा था,भागवत कथा में वृंदावन धाम से पधारे सुमधुर कथावाचक आचार्य डॉक्टर संतोष दास जी महाराज के मुखारबिन्दु से श्रीमद् भागवत कथा अमृत महोत्सव का आयोजन किया गया । कथा में प्रतिदिन महान संत विभूतियों ने अपनी गरिमामई उपस्थित से श्रोताओं को अभिभूत किया जिनमें अतिथि के रूप में आदरणीय चिलोंगा सरकार मुख्य रूप से उपस्थित रहे। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से महाराज के द्वारा भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत बाल लीलाओं का वर्णन किया गया , और प्रभु की 52 अवतार की कथाओं के बारे में श्रद्धालुओं को रसपान कराया गया है। महाराज जी ने अपने शब्दों में श्री कृष्ण भगवान के जन्म के पश्चात उनकी बाल लीलाओं का वर्णन किया है। महाराज जी के द्वारा कहा गया है कि अगर भक्त प्रभु का स्मरण अच्छे मन से करता है तो भगवान उसके द्वार पर चलकर खुद आ जाते है । भागवत कथा में मुख्य अतिथि के रूप में चिलोंगा धाम के महंत श्री ने भी अपने अमृत वचनों से उपस्थित श्रोताओं का मार्गदर्शन किया।
भागवत कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ से आचार्य डॉक्टर संतोष दास जी महाराज के द्वारा सुदामा चरित्र का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया जिसे सुनकर उपस्थित श्रोतागढ़ भाव विभोर हो गए, इसके साथ ही गणेश चौथ की कथा,भागवत का सार सहित मानव जीवन में भागवत की क्या उपयोगिता है इस पर भी प्रकाश डाला गया। कथा के अंतिम दिन उत्तर प्रदेश के कलाकारों द्वारा मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई जिसे वहां उपस्थित लोग देखकर मंत्र मुग्ध हो गए, कथा के अंतिम दिन भागवत कथा का आनंद अपने चरम पर था, कथा पंडाल में उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्तिमय होकर नाच उठे चहुंओर प्रभु की जय जयकार होने लगी। कथा पंडाल में 5000 से अधिक लोग उपस्थित रहे, कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ से मीडिया से विशेष चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने बताया कि भिंड के श्रोता अद्भुत हैं सभी ने पूरे मनोयोग से कथा का श्रवण किया कथा का सार बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि ईश्वर के पति पूर्ण समर्पण ही भागवत का सार है हमें हर परिस्थिति में ईश्वर पर पूरी आस्था रखनी चाहिए ईश्वर के प्रति द्रड आस्था ही मनुष्य के लिए बल का कार्य करता है। इसके पश्चात भागवत भगवान की आरती के बाद संत भंडारे का आयोजन किया गया। तत्पश्चात आयोजक मंडल द्वारा महाराज श्री को भावभीनी विदाई दी गई।