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₹10 के नोट के चक्कर में पंडोखर सरकार का चमत्कार हुआ फेल

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पंडोखर सरकार के भोपाल दरबार का मामला

 

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की तरह लाइव डेमो देने के चक्कर में फंसे पंडोखर सरकार 

दरअसल मामला मध्यप्रदेश के भोपाल का है जहां पर चमत्कार का दावा करने वाले पंडोखर सरकार अपना दरबार लगा रहे थे पंडित धीरेंद्र शास्त्री की तरह लाइव डेमो चमत्कार की चक्कर में पंडोखर सरकार फंस गए। वो भी 10 रुपये के नोट के चक्कर में।

 

 

 

 

पंडोखर सरकार के कई बारकहने के बाद भी जब श्रद्धालु की जेब में 10 रुपये का नोट नहीं मिला तो वे अपनी बात से ही मुकर गए। कहने लगे कि उन्होंने तो कहा ही नहींथा कि जेब में 10 रुपये का नोट है। यह वाकया सोमवार को भोपाल में हुआ।

दरअसल, भोपाल में कलियासोत मैदान के पास पंडोखर सरकार का दरबार लगा है। इसमें हर दिन हजारों लोगों की भीड़ जमा हो रही है। पंडोखर सरकार इसमें श्रद्धालुओं को अपना चमत्कार दिखा रहे हैं। वे पर्ची पर उनकी बात पहले ही लिख
लेते हैं। उसकी तस्दीक होते ही श्रद्धालु जोर-जोर से तालियां बजाने लगते हैं। सोमवार को भी यही सिलसिला चल रहा
था। इसी दौरान एक श्रद्धालु को उन्होंने मंच पर बुलाया। वह मुंबई से पंडोखर सरकार के दरबार मेंआया था। उसने महाराज को अपनी समस्या बताई कि प्रॉपर्टी और फाइनेंस का कारोबार है, लेकिन बहुत सारा पैसा मार्केट में फंसा है। वह इससे परेशान है। महाराज ने उससे कहा कि आपके जेब में दस रुपये का एक फटा हुआ नोट है। उन्होंने नोट का नंबर भी बताया। यह भी कहा
कि नोट महात्मा गांधी की फोटो से लेकर अशोक चिन्ह तक फटा हुआ है। यह सुनते ही पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद श्रद्धालु ने मंच पर ही अपना पर्स निकाला। उसमें से सारे नोट निकाल दिए। फिर शर्ट की जेब से भी कागज और पैसे निकाले । उसने एक-एक कर सारे नोट देखे, लेकिन दस रुपये का नोट नहीं दिखा। उसके पास सिर्फ 500
और 100 रुपये के नोट निकले। इधर पंडोखर सरकार अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि यदि दस रुपये का नोट नहीं
मिला तो वे दरबार लगाना छोड़ देंगे। श्रद्धालु को भी पूरा भरोसा था कि दस रुपये का नोट जरूर मिलेगा। करीब दस मिनट तक वह पर्स कोउलट-पुलट कर देखता रहा, लेकिन नोट नहीं मिला। इधर, भीड़ रह-रह कर तालियां बजाती रही। इसके बाद पंडोखर सरकार ने एक मीडियाकर्मी को बुलाया और उसे नोट ढूंढने को
कहा। मीडियाकर्मी भी नोट नहीं तलाश पाया तो महाराज खुद ढूंढने लगे। उन्होंने पर्स के हर कोने को देखा, नोटों को उलट-पुलट कर देखा, लेकिन दस रुपये का नोट उन्हें भी नहीं मिला।
दस रुपये के फटे नोट की तलाश करीब 13 मिनट तक चलती रही। इधर, चमत्कार का इंतजार कर रही भीड़ तालियां बजाती रही। जब नोट अंततः नहीं मिला तो महाराज ने अपने चमत्कार का रास्ता बदल लिया। उन्होंने पर्ची उठाकर भीड़को दिखाते हुए कहा कि इसमें लिखा है कि 10 रुपये का नोट नहीं निकलेगा। फिर उन्होंने 500 रुपये के नोटों के नंबर बताने शुरू कर दिए। ये नंबर सही निकले। दस रुपये का नोट नहीं मिला, लेकिन भीड़ इसे भी चमत्कार मानकर तालियां बजाती रही।

 

Rahul Tiwari
Author: Rahul Tiwari

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